वक्त से तकरार करना जैसे खुद को ही पराजित करना है! कई बार सोचती हूँ..
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और कैसे कहे कोई इसे चले जाने को! वक्त से तकरार करना जैसे खुद को ही पराजित करना है! कई बार सोचती हूँ..
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लगता है आप पति पत्नी जों एक इकाई के रूप में काम करती है उसे अलग अलग कर के देखना चाहती है, आज समाज को परिवार को एकरूप करने की आवश्यकता है, न की इस तरह के व्यथ में विवाद पैदा करने की, आप की बात सुनने में पढ़ने में बढिया भले ही लगे, पर क्या आप इन बातो को आपने बेटे की शादी के बाद करना पसंद करेगी, अपने परिवार म इस तरह की छोटी मोटी बातों पर तकरार करना पसंद करेगी
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लगता है आप पति पत्नी जों एक इकाई के रूप में काम करती है उसे अलग अलग कर के देखना चाहती है, आज समाज को परिवार को एकरूप करने की आवश्यकता है, न की इस तरह के व्यथ में विवाद पैदा करने की, आप की बात सुनने में पढ़ने में बढिया भले ही लगे, पर क्या आप इन बातो को आपने बेटे की शादी के बाद करना पसंद करेगी, अपने परिवार म इस तरह की छोटी मोटी बातों पर तकरार करना पसंद करेगी
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लगता है आप पति पत्नी जों एक इकाई के रूप में काम करती है उसे अलग अलग कर के देखना चाहती है, आज समाज को परिवार को एकरूप करने की आवश्यकता है, न की इस तरह के व्यथ में विवाद पैदा करने की, आप की बात सुनने में पढ़ने में बढिया भले ही लगे, पर क्या आप इन बातो को आपने बेटे की शादी के बाद करना पसंद करेगी, अपने परिवार म इस तरह की छोटी मोटी बातों पर तकरार करना पसंद करेगी?....अमित जी,दुनिया का हर व्यक्ति एक पृथक इकाई है!